दिल ढूंढता , है फिर वही फुर्सत के रात दिन
बैठे रहें तसव्वुर -ऐ -जाना किये हुए
जाड़ों की नर्म धुप और आँगन में लेट कर
आँखों पे खींच कर तेरे दामन के साए को
आँखों पे खींच कर तेरे दामन के साए को
औंधे पड़े रहें कभी करवट लिए हुए
दिल ढूंढता है ,
या गर्मियों की रात जो पुरवाइयाँ चले
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागें देर तक
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागें देर तक
तारों को देखते रहें छत पर पड़े हुए
दिल ढूंढता है ,
बर्फीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूंजती हुयी , खामोशियाँ सुनें
वादी में गूंजती हुयी , खामोशियाँ सुनें
आँखों में भीगे भीगे से लम्हे लिए हुए
दिल ढूंढता है ,
बैठे रहें तसव्वुर -ऐ -जाना किये हुए
जाड़ों की नर्म धुप और आँगन में लेट कर
आँखों पे खींच कर तेरे दामन के साए को
आँखों पे खींच कर तेरे दामन के साए को
औंधे पड़े रहें कभी करवट लिए हुए
दिल ढूंढता है ,
या गर्मियों की रात जो पुरवाइयाँ चले
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागें देर तक
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागें देर तक
तारों को देखते रहें छत पर पड़े हुए
दिल ढूंढता है ,
बर्फीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूंजती हुयी , खामोशियाँ सुनें
वादी में गूंजती हुयी , खामोशियाँ सुनें
आँखों में भीगे भीगे से लम्हे लिए हुए
दिल ढूंढता है ,
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